Samar jo Shesh abhi hai (eBook, ePUB) - 3 Angebote vergleichen

Bester Preis: 4,49 (vom 05.12.2021)
1
9789391186982 - Indianetbooks, India Netbooks; Pandit, Geeta: Samar jo Shesh abhi hai (eBook, ePUB)
Indianetbooks, India Netbooks; Pandit, Geeta

Samar jo Shesh abhi hai (eBook, ePUB)

Lieferung erfolgt aus/von: Österreich NW

ISBN: 9789391186982 bzw. 939118698X, Sprache unbekannt, INDIA NETBOOKS indianetbooks, neu.

4,49
unverbindlich
Lieferung aus: Österreich, zzgl. Versandkosten.
समर शेष के अनिवार्य औजारों का दस्तावेजऐसे वातावरण में, जब छंद कई आँखों की किरकिरी बनता जा रहा है, जब छंद को बँधाबँधाया, संकुचित करार देकर इसे अभिव्यक्ति के लिए अपर्याप्त बताया जा रहा है, कुछ लोग छंद के अनुशासन को निभाते हुए असीमित और अपरिमित भावों का सफल संप्रेषण कर रहे हैं। सच तो यह है कि विधाओं में कभी झगड़े नहीं होते, विधाओं के अवैतनिक और स्वयंभू अधिवक्ताओं की नोक-झोंक अवश्य संभव है। गीतों, मुक्तकों, कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से सम्मान और प्रतिष्ठा को अलंकृत कर चुकी गीता पंडित जी की यह दोहा सतसई आपके हाथों में है। भौतिक रूप में इस दोहा सतसई संग्रह को पुस्तक ही कहेंगे लेकिन यह वस्तुतः गीता जी की संवेदना का संसार है। यह 13 और 11 मात्राओं में दो-दो पंक्तियों की तरतीब भर नहीं है। यह संवेदना के उस संसार का दस्तावेज है, जिसमें जीवन से जुड़ा हर पक्ष है। ये वास्तव में उन तीरों का संग्रह है, जो देखने में भले ही छोटे लगें, घाव गंभीर करते हैं। लेकिन इन्हें केवल तीर कह देना एकांगी होना है। इन दोहों का विधागत शिल्प बेशक एक ही है, किंतु ये विषय और भाव के अनुसार कहीं तीर हैं, कहीं फूल हैं, कहीं एक बूँद आँसू हैं, कहीं मजदूर के तपते पैरों के लिए फाहा हैं, कहीं उथली राजनीति करने वालों के लिए चेतावनी से भरा प्रहार हैं, कहीं ये सामाजिकता से गायब होती जा रही सामाजिकता की नब्ज को टटोलने वाले कोमल हाथ हैं। गीता जी को गीत का संस्कार अपने पूज्य पिता जी से मिला है। जाहिर है, छंद का ककहरा वहीं से पाया है। लेकिन इस सबके साथ एक बात और यह हुई कि गीता जी जो लिखती हैं वही जीती हैं। उनके यहाँ कहने और करने में भेद मुझे तो नहीं दिखा। इन दोहों की ईमानदारी, विषय का बाहुल्य, लयात्मकता और गति के पीछे दमकती हुई गीता हैं। प्रेम की बात करते हुए उसके कितने रूप एक ही दोहे में प्रतिबिंबित किए जा सकते हैं, यह सहज ही देखा जा सकता हैः प्रेम नेह करुणा दया, सब मानुष की जात फिर ऐसा आतंक क्यूँ, समझ न आयी बात प्रेम धर्म सबसे बड़ा, प्रेम करे सुख होय जात-पात अलगाव हैं, केवल पीड़ा बोयऔर समकालीनता के साथ संप्रेषणीयता को निभाते हुए वह दोहे की जमीन में तोड़-फोड़ करने का साहस भी रखती हैं। देखिए यह दोहाः सोशल डिस्टेंसिंग हुई, सभी घरों में बंद मगर धरा तो झूमती, ओढ़े अपनी गंध गीता जी चाहतीं तो ऐसे भी कर सकती थी किः सामाजिक दूरी हुई, सभी घरों में बंद वास्तव में किसान की समस्याएँ कई आयाम लिए हुए हैं। बेसहारा या जंगली पशुओं ने भी किसानों की आर्थिक रीढ़ पर हमला किया है। यह दोहा उसी संदर्भ में हैः फसलें सारी चर गयी, नील गाय हर छोर खाली खेती देखकर, रोया वह घनघोरएक दोहे में पात्र को खड़ा करना, उसका दृश्य दिखा कर उसकी बात कहना सफलता हैः बाढ़ निगोड़ी ले गयी, फसलें सारी संग सुगना की शादी हुई, पलभर में लो भंगमन जैसी चंचल शय को कैसे बाँधा गया है, अवश्य देखिएः मन की हाँडी में नहीं, ख़ुशियों का अब खेल भूखे मन व्याकुल हुए, खुद से भी कब मेल इन दिनों जब, समर्थन और विरोध के पीछे तर्क से अधिक अतार्किकता प्रबल है, घटनाओं के विश्लेषण के बाद अगर गीता जी यह कहती हैं तो यह सच का बयान हैः हिपनोटाइज कर रहे, जनता को दिन रात बाबा बने बहेलिये, भूले हर जज़्बात - नवनीत शर्मा ग़ज़लकार, पत्रकार राज्य संपादक (हिमाचल प्रदेश) दैनिक जागरण.
2
9789391186982 - India Netbooks Indianetbooks/ Geeta Pandit: Samar jo Shesh abhi hai
India Netbooks Indianetbooks/ Geeta Pandit

Samar jo Shesh abhi hai

Lieferung erfolgt aus/von: Deutschland NW EB DL

ISBN: 9789391186982 bzw. 939118698X, Sprache unbekannt, Samar jo Shesh abhi hai - eBook als epub von India Netbooks Indianetbooks/ Geeta Pandit - INDIA NETBOOKS indianetbooks - 9789391186982, neu, E-Book, elektronischer Download.

Samar jo Shesh abhi hai ab 4.49 € als epub eBook: . Aus dem Bereich: eBooks, Belletristik,.
3
9789391186982 - Samar jo Shesh abhi hai

Samar jo Shesh abhi hai

Lieferung erfolgt aus/von: Deutschland NW EB DL

ISBN: 9789391186982 bzw. 939118698X, Sprache unbekannt, neu, E-Book, elektronischer Download.

Samar jo Shesh abhi hai: ab 4.49 €.
Lade…